जंगल नगर में नव वर्ष का एक रोमांचक दिन
जंगल नगर में नव वर्ष का एक रोमांचक दिन
लेखक
बेउला मेरी क्रोकर
जनवरी 22, 1910
PRESS OF RAHN & HARMON COMPANY
MINNEAPOLIS
कॉपीराइट, 1910, by
विलियम जी. क्रोकर
नव वर्ष के पहले दिन की सवेर जो बहुत ही स्वच्छ और चमकदार थी जंगल नगर के नागरिकों के लिए आनंद विभोर थी। जंगल के राजा लीओ ने बंदरों की पहाड़ी पे खेलों के आयोजन की घोषणा की थी जिस प्रतियोगिता में पैदल दौड़, स्कीइंग दौड़ बर्फ के जूतों की दौड़, बर्फ की गेंद से मारना और बर्फ की गाड़ी की दौड़ शामिल थे। इस प्रतियोगिता में सर्द ऋतु की सारी खेल ईवैंट शामिल होंगे, लेकिन स्केटिंग नहीं होगी क्योंकि राजा इस गेम को मनोरंजन के अनुकूल नहीं समझता था इस लिए इसे खेलों में शामिल नहीं करता था।
सभी वन प्राणी भालू से लेकर गिलहरी तक इस प्रतियोगिता के दिन की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे थे। यह ईवैंट देखने के लिए उनके मन में बहुत उत्साह था। वो यह दिन बंदरों की पहाड़ी पे बिताने के लिए खाने पीने का सामान तैयार करने लगे। और खेलों के प्रबंध के लिए जमीन तैयार करने लगे।
उनके लिए पहला काम दर्शकों के लिये बैठने की जमीन तैयार करना था। राजा और उसके मित्रों के लिए मंच तैयार करना, बर्फ की गाड़ी दौड़ का रास्ता बनाना, इस के अलावा प्रत्येक परिवार के लिए खाने की टोकरी तैयार करना ता कि वो खेलों के दिन भूखे ना रहे। इसके लिए सभी माताएं और लड़कियाँ खाने पीने का सामान तैयार कर रही थी।
अंत में खेल प्रतियोगिता का वो दिन आ गया तब तक पूरी तैयारी हो चुकी थी। वन प्राणियों के परिवार एक दिन पहले ही अपना भोजन पैक कर चुके थे। उस दिन बंदरों की पहाड़ी पे भीड़ एकत्र होनी शुरू हो गई। जंगल नगर के सभी परिवार यहां तक कि दूर दूर के नागरिक इस खेल का आनंद लेने वहाँ पहुंचे।
जब खेल प्रतियोगिता का निश्चत समय जो दिन के एक बजे था आया तो वह पहाड़ी हाथियों, जिराफों, भालुओं, लोमड़ियों, बाघों, बंदरों पोसमो, गिलहरियों व अन्य वन प्राणियों से भर गई। इसके साथ जंगल के राजा के रिश्तेदार व मित्र शेर, चीते बाध भी आए।
तब उस आनंदमई दिन की शुरूआत हुई जिसकी जंगल नगर के प्राणी प्रतीक्षा कर रहे थे। सभी वन प्राणियों ने उस भव्य समारोह का आनंद लिया। खेलों की शुरूआत भालुओं और गिलहरियों की स्कीइंग दौड़ से हुई जो बहुत ही उत्तेजना भरी थी। गिलहरियाँ भालुओं के मुकाबले हल्की और छोटी थी लेकिन दौड़ का अच्छा प्रदर्शन करके उन्होंने दौड़ में विजय प्राप्त कर ली।
तब उस आनंदमई दिन की शुरूआत हुई
तब बर्फ के जूते पहनकर दौड़ लगानी थी यह प्रतियोगिता हाथियों और जिराफों में थी। जिराफों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और यह दौड़ जीत ली। तब पैदल दौड़ का आयोजन किया गया। जिसके पश्चात् बर्फ के गोले बनाकर लड़ाई का आयोजन हुआ। तब गाड़ियों जो बर्फ में चलती हैं उनकी दौड़ का समय आ गया जिस में सभी दर्शकों ने बहुत उत्तेजना और आनंद प्राप्त किया।
खोलों का आगाज शानदार हुआ जब बर्फ की गाड़ियों की दौड़ प्रतियोगिता चल रही थी जिसमें बंदर, चिम्पांजी और गिलहरियाँ शामिल थी तब गाड़ियों ने पहाड़ी के नीचे जाना शुरू किया। वो तिरछी सतह पे जा रही थी और उनकी गती बहुत तेज थी तब पीछे से चीं चीं की आवाज सुनाई दी। तब जैक पोसम ने देखा कि एक गरीब गिलहरी जमीं पे बेहोश पड़ी है और कई मीटर पीछे रह गई है। यह छोटी गिलहरी उस गाड़ी पे सवार थी जो ऊंची नीची खूबड जमीन पे चल रही थी। जब गाड़ी थोडा पलटी तो वह गरीब अपना संतुलन खो बैठी और गाड़ी से जमीन पे गिर गई।
डाक्टर ने उसे नजदीक के घर ले जाने की सलाह दी।
जब ही इस दुर्घटना का पता चला तब दौड़ बंद कर दी गई और उस जगह पे बहुत लोगो की भीड़ एकत्र हो गई। और सभी यह अंदाजा लगा रहे थे कि उसकी मृत्यु हो गई है। तत्पश्चात सर थोमस जो राजे का चचेरा भाई था वहां पहुंचा वो जंगल नगर का मशहूर डाक्टर था, उसने देखा कि गिलहरी की एक लात टूट चुकी है। और वह गाड़ी से गिरने के कारण सदमें में है। डाक्टर ने उसे नज़दीक के घर ले जाने की सलाह दी। यह घर दो शरीफ अच्छे भालुओं का था जो बूढे थे, वहां उस घर में डाक्टर ने उसकी टांग ठीक कर दी और वो छोटी गिलहरी होश में आ गई।
इस पश्चात उस जख्मी गिलहरी के माता पिता की तलाश की गई। लेकिन किसी भी वन प्राणी ने गिलहरी से अपना रिश्ता स्वीकार नहीं किया। कुछ दिन बीतने के पश्चात् दोनों बूढे़ भालुओं को बताया गया कि यह गिलहरी यतीम है और इस संसार में इसका कोई भी सगा सम्बंधी नहीं है। यह बहुत दूर से खेल प्रतियोगिता देखने आई है।
यह भालू दंपती बहुत दयालु इन्सान थे। उन्हें उस बेघर और यतीम प्राणी के बारे में सुनकर दुख हुआ। और वो दोनों उस गिलहरी के उपासक बन गए और वो गिलहरी भी उन्हें पसंद करने लगी। जब वह कुछ दिनों बाद चलने फिरने के योग्य हुई तो वह भालू दंपती उसे न्यायालय में ले गये जो जंगल नगर का न्यायालय था। वहां जाकर उन्होंने गिलहरी को कानूनी तौर पे गोद ले लिया।
वहां जाकर भालू दंपती ने गिलहरी को कानूनी तौर पे गोद ले लिया।
तब टौमी गिलहरी को अपना आराम दायक घर मिल गया और साथ में दो बूढे़ भालुओं के रूप में मित्र मिल गए जो उसकी देखभाल करते थे। वो कभी भी पूरा जीवन एक दूसरे से जुदा नहीं हुए। और वो बर्फ गाड़ी की दुर्घटना के आभारी हो गए जिसने उन्हें एक दूसरे के साथी बनाया। खेल प्रतियोगिता का वो दिन उन बूढे़ भालुओं और गिलहरी जो बहुत ही आज्ञाकारी थी और प्यारी थी सभी के लिए यादगारी दिन बन गया जिस दिन उनकी एक दूसरे से मित्रता हूई।