बहुत समय पहले एक बूढ़ा आदमी और एक बूढ़ी औरत एक गांव में रहते थे। एक दिन बूढ़ा आदमी घास काटने के लिए पहाड़ पे गया और बूढ़ी औरत कपड़े धोने के लिए नदी पे चली गई। जब वह कपड़े धो रही थी तो उसे एक बड़ी सी वस्तु पानी में लहरें उठाती ओर अपनी तरफ तैर कर आती हुई नजर आई। बूढ़ी इस वस्तु को देख कर खुश हो गई। पास पड़ी बांस की लाठी से उसने इसको अपनी ओर खींच लिया।
जब उस ने इस को उठा कर देखा तो उसे पता चला कि यह एक बड़ा सा आडू था। अपने बूढ़े को इस को खाने को देने की इच्छा से उसने कपड़े धोने का काम जल्दी जल्दी निपटा लिया और घर वापिस आ गई।
घर पहुँच कर जब उस ने आडू को काट कर इस के दो हिस्से किये तो इस की बड़ी गिरी मे से एक बच्चा बाहर निकला। पति पत्नी दोनों बहुत खुश हुए क्योंकि उनके अपना कोई बच्चा नहीं था। उन्होंने इस का नाम मोमोतारो अथवा छोटा आडू रखा क्योंकि यह आडू में से निकला था। उन्होंने उस का पालन पोषण बहुत अच्छे ढंग से किया। वोह उसका बहुत ध्यान रखते थे। इस लिए वह बड़ा होकर बहुत शक्तिशाली और उद्यमी युवक बना। अब उस दंपती की मोमोतारो पर आशाएं और भी बड़ गई । वो दोनों उस के खान पीन और शिक्षा पे और भी ज्यादा ध्यान देने लगे।
छोटे आडू को अपनी ताकत और हुनर पे बंहुत मान था। वह मानता था कि और कोई भी उस के मुकावले का नहीं है। उसने शैतानों के टापू पे जा कर उन का खजाना छीनने की सलाह बनाई। उस ने इस काम के सम्बंध में बूढे़ आदमी और औरत से भी सलाह की। बूढे़ दंपती ने अपनी सहमती प्रकट की। इस लिए उस ने शैतानों के टापू पे जाने की तैयारी की। इस दौरान जो सामान चाहिए था वो इकत्र किया। बूढ़ी औरत ने रास्ते में खाने के लिए उस को कुछ पूड़े और बिस्कुट बना कर दिये। खाने का सामान थैले में डाल कर और जरूरत का सामान लेकर वह टापू की तरफ चल पड़ा।
जब वह जा रहा था सब से पहले उसे एक कुत्ता मिला। कुत्ता पूछने लगा, ’’मोमोतारे तुम्हारे पास थैले में क्या है?’’ उस ने उत्तर दिया के मेरे पास सब से अच्छे जापानी बाजरे के बने हुए पूडे और बिस्कृट है। कुत्ते ने पूछा, ’’एक पूड़ा और एक बिस्कुट मुझे दे दो, मैं आप के साथ जाऊंगा। इस लिए मोमोतारो ने थैले से निकाल कर एक पूड़ा और एक बिस्कुट उसे दे दिया। तब एक बंदर ने एक पूड़ा और एक बिस्कुट उस से लिया ओर वो भी उन के साथ चल पड़ा। वो तीनों थोड़ी दूर पे ही गए थे कि उन को एक उड़ता हुआ तीतर मिला। तीतर ने भी मोमोतारो को एक पूड़ा और एक बिस्कुट देने की मांग की और यह लेकर वह भी उनके साथ चल पड़ा। इस तरह वो तीनों मोमोतारो के साथ चल पड़े। वो बहुत जल्दी शैतानों के टापू पे पहुंच गए। उन्होंने सब से पहले आगे का दरबाजा तोड़ दिया। उन में से मोमोतारो इस काम में सब से आगे था और उस के तीनों साथी उस के पीछे थे। उस ने आगे शैतानों के बहुत से पहरेदार थे। उनसे उन चारों की लडाई हुई। पहरेदारों को हरा कर वो और अन्दर चले गए। आगे जा कर उन का मुकाबला शैतानों के मुखी अकांदोजी से हुआ। अकांदोजी ने लोहें की लठ से मोमोतारो पे हमला किया। मोमोतारो पहले से तैयार था और बड़ी निपुनता से वो इस हमले से बच गया। वो दोनो पूरी ताकत से एक दूसरे के साथ लड़ाई कर रहे थे लेकिन अंत में मोमोतारो ने अकांदोजी को बुरी तरह कुचल दीया। उस ने कस कर अकांदोजी को रस्से से बांध दिया ताकि वह हिल न सके। यह लडाई युद्ध के नीयमों के अनुसार ही लड़ी गई।
अंत में अकांदोजी ने हार मान ली और अपना सारा खजाना मोमोतारो को सौंप दिया। मोमोतारो हंसकर बोला, ’’निकालो अपना खजाना’’। तब मोमोतारोने खजाना इकत्र किया और उस में से कीमती वस्तुए अलग कर ली। यह खजाना ले कर वह घर वापिस जाने के लिए चल पड़ा। उस के तीनों साथ्ी भी उस के साथ थे। उसने अपनी सफलता का सेहरा अपने साथीओं को दिया और बोला कि इतनी मुश्किल मुहिंम कोमैं इन की सहायता से ही इतनी आसानी से जीता हूॅ।
जब मोमोतारो घर पहुँचा तो बूढ़ा आदमी और औरत बहुत खुश हुए। मोमोतारों ने अपने सभी दोस्तों को, गांव के लोगों और रिश्तेदारों को बड़ी पार्टी दी। उन को अपने साहसपूर्ण कारनामों की कहानीयां भी सुनाई। अपना खजाना भी दिखाया। अंत में वह एक अमीर इज्जतदार और असर रसूख रखने वाला व्यक्ति बन गया। सभी उसे बधाई दे रहे थे।